Home / धर्म / समाज / ‘साजन’ घोड़ा, मंदिर में ,धोक लगाते ही प्रकट हुई ज्योत, नवलगढ़ में बाबा रामदेव का ऐतिहासिक मेला शुरू

‘साजन’ घोड़ा, मंदिर में ,धोक लगाते ही प्रकट हुई ज्योत, नवलगढ़ में बाबा रामदेव का ऐतिहासिक मेला शुरू

शेखावाटी की धरा पर आस्था और परंपरा का अनुपम संगम सोमवार को उस समय देखने को मिला, जब नवलगढ़ में बाबा रामदेवजी के ऐतिहासिक लक्खी मेले की शुरुआत हुई। यह मेला अपनी अनूठी परंपरा के कारण पूरे भारत में अलग पहचान रखता है, क्योंकि यहां राजघराने के महल से निकला घोड़ा मंदिर में धोक लगाता है और उसके बाद ही ज्योत प्रकट होती है। इस बार राजपरिवार के महल रूप निवास पैलेस से निकला ‘साजन’ नाम का घोड़ा नगर भ्रमण करता हुआ मंदिर पहुंचा। करीब दो किलोमीटर लंबे जुलूस में घोड़े के साथ 501 निशान और एक सफेद ध्वज शामिल रहे। जैसे ही साजन मंदिर के प्रांगण में पहुंचा, श्रद्धालुओं की भीड़ टूट पड़ी। हर कोई घोड़े को छूकर आशीर्वाद लेने की कोशिश करता रहा। भीड़ इतनी अधिक थी कि लोग एक-दूसरे पर टूटते नज़र आए। इससे पहले स्प निवास पैलेस में निशान पूजन हुआ। इसके बाद निशान यात्रा का कई स्थानों पर पुष्प वर्षा कर जोरदार स्वागत किया गया। इस मौके पर पूर्व चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा, बीजेपी नेता मनोहरसिंह जाखल, कैलाश चोटिया, अनिल पारीक, योगेंद्र मिश्रा आदि मौजूद थे।
मंदिर में धोक लगाने के बाद प्रकट हुई ज्योत
मंदिर पहुंचकर साजन ने बाबा रामदेवजी के दरबार में धोक लगाई और फेरी पूरी की। इसके तुरंत बाद शाम सवा पांच बजे मंदिर में ज्योत प्रकट हुई। उसी क्षण से मंदिर में जयकारों की गूंज फैल गई और मेले का औपचारिक आगाज़ हो गया। इस दौरान मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। दीपों की रोशनी, घंटों-घड़ियालों की ध्वनि और बाबा के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो उठा। महाआरती के समय मंदिर प्रांगण में पैर रखने तक की जगह नहीं बची। इसके बाद चावल का प्रसाद वितरित किया गया। इस बार मेले में राजस्थान ही नहीं, बल्कि हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से भी श्रद्धालु उमड़ते है। अनुमान है कि करीब 5 से 7 लाख लोग बाबा रामदेवजी के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते है।
249 साल पुरानी परंपरा
इतिहास पर नज़र डालें तो नवलगढ़ के राजा नवलसिंह ने 1776 में इस मंदिर का निर्माण कराया था। तभी से घोड़े और ध्वज की परंपरा चली आ रही है। कामड़ समाज की मौजूदगी में ही ज्योत प्रकट की जाती है। समाज के लोग गर्व से बताते हैं कि उन्हें परंपरा का मूल कारण भले न पता हो, लेकिन इसे निभाना उनके लिए बाबा का आशीर्वाद है।
एसडीएम ने मेला परिसर का जायजा
मेले की व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए एसडीएम सुनील कुमार झिंगोनिया पहुंचे, उन्होंने मेला परिसर व मंदिर की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान कार्यवाह ईओ कंवरपालसिंह, सीआई सुगनसिंह भी मौजूद थी। नगरपालिका व पुलिस प्रशासन की ओर से मेले में कैंप लगाया गया। बारिश की वजह से मेला परिसर में कई स्थानों पर पानी भर गया, जिससे लोग व दुकानदार परेशान होते नजर आए।
आज उमड़ेगी आस्था की भीड़
बाबा रामदेवजी लक्खी मेले में दशमी का दिन विशेष धार्मिक महत्व लिए होता है। मंगलवार अलसुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ेगी। दर्शन व धोक लगाने के लिए लोग रात से ही आने लग जाते है। परंपरा के अनुसार दशमी के दिन घर-घर में चूरमा और दाल का प्रसाद बनाया जाएगा। श्रद्धालु मंदिर में चूरमा-दाल का भोग अर्पित कर प्रसाद बांटेंगे। मान्यता है कि इस दिन बाबा को चूरमा-दाल का भोग लगाने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और सभी कार्यों में मंगल होता है। पूरे दिन मंदिर परिसर भजन-कीर्तन और जयकारों से गूंजता रहेगा। श्रद्धालुओं को बाबा रामदेवजी के आशीर्वाद का लाभ मिलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *